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महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों (विधानसभा और विधान परिषद) में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पेश किया जिसमें मराठों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि एक बार आरक्षण लागू हो जाने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि मराठा आरक्षण अदालत में भी टिक सकेगा। शिंदे ने कहा कि हमने 50 प्रतिशत की सीमा पार कर ली है। लेकिन 22 अन्य राज्यों में भी इस तरह के आरक्षण लागू हैं। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में 69 प्रतिशत, हरियाणा में 67 प्रतिशत, राजस्थान में 64 प्रतिशत, बिहार में 69 प्रतिशत, गुजरात में 59 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 55 प्रतिशत है। शिंदे ने कहा कि राज्य में ओबीसी कोटा को छुए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहते हैं जो पिछले चार दशक से संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द करते हुए जो आपत्तियां जताई थी, हमने अपना पूरा ध्यान उन निष्कर्षों पर केंद्रित किया है। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व अन्य न्यायिक स्तर पर मराठा आरक्षण कैसे बनाए रखा जाए, इसके लिए सरकार और आयोग के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति दिलीप भोसले की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई है। शिंदे ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सैंपल सर्वे नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहे गए ट्रिपल टेस्ट के अनुसार 1.52 करोड़ लोगों का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि टिकाऊ और कानून के दायरे में मराठा समुदाय को आरक्षण मिले। इसके लिए सरकार पूरी ताकत लगाएगी कि आरक्षण बचा रहे।
इस बीच मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है। यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमारा फायदा तभी होगा, जब हमारी मूल मांगें पूरी की जाएं। इस आरक्षण से काम नहीं चलेगा। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है। जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।
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