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महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने एक बयान जारी कर कहा की -- वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ0 राजेश मिश्रा के भाजपा में जाने से कांग्रेस पार्टी का कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि अब पार्टी के अंदर गुटबाजी खत्म हो गई।कांग्रेस पार्टी ने बहुत सम्मान राजेश मिश्रा को दिया और अब जब पार्टी के लिए सँघर्ष का समय है तो वह पार्टी छोड़ दिये।कांग्रेस ने उन्हें एमएलसी बनाया,1999 में लोकसभा का टिकट दिया चुनाव हारे ,2004 में पुनः टिकट मिला चुनाव जीते ,फिर अपने भाई बृजेश मिश्रा को कांग्रेस से एमएलसी का चुनाव लड़वाये और पराजित हुए,पुनः 2009 में लोकसभा का टिकट मिला पराजित हुए ,2017 में दक्षिणी विधानसभा का टिकट मिला चुनाव हारे ,2019 में सलेमपुर लोकसभा मिली जहां यह जमानत बचाने में नाकाम रहे,2022 में पुनः कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और फिर पराजित हुए जमानत नहीं बची।पार्टी ने इनको राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावी कमेटी का सदस्य बनाया,आजीवन एआईसीसी सदस्य बनते रहे ,प्रदेश में महासचिव व उपाध्यक्ष रहे अन्य कमेटियों के भी हिस्सा रहे।
हर चुनाव में हस्तक्षेप पर संगठन से लेकर टिकट बंटवारे तक इनकी भूमिका अहम रही है कांग्रेस ने इनको बहुत सम्मान दिया और अब जब कांग्रेस की सेवा करनी है सँघर्ष करना है तो चल पड़े अच्छा हुआ इसलिए काशीवासी इनका नाम आश्वासन गुरु रखे थे।भाजपा वाले इनसे अपनी रक्षा करे क्योंकि यह सँघर्ष के समय दामन छुड़ा लेंगे।कांग्रेस पार्टी मजबूती से लोकसभा चुनाव लड़ेगी राजेश मिश्रा के जाने से कोई फर्क पार्टी को नही पड़ेगा।
रिपोर्टर
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