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मुंबई : मलबार हिल जलाशय का पुनर्निर्माण हो या उसकी मरम्मत की जाए, इसे लेकर आईआईटी की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट बीएमसी कमिश्नर आई. एस. चहल को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएमसी को रिजर्व वायर तोड़ने या मरम्मत करने से पहले दक्षिण मुंबई में पानी सप्लाई की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में नए टैंक का निर्माण करना पड़ेगा। बीएमसी को इसके लिए 54 एमएलडी पानी रखने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। 10 पॉइंट में पेश रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि बीएमसी के सामने रिजर्व वायर को तोड़कर बनाने और मरम्मत करने के दोनों विकल्प मौजूद हैं। बीएमसी प्रशासन का झुकाव रिजर्व वायर के रिकंस्ट्रक्शन के लिए है। बीएमसी ने इस रिजर्व वायर के निर्माण पर 698 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारे सामने दोनों विकल्प मौजूद हैं, एक दीर्घकालिक है और दूसरा तात्कालिक है।
रिजर्व वायर को तोड़कर बनाना दीर्घकालिक व्यवस्था है और उसकी मरम्मत कुछ साल की मोहलत दे सकती है। यह कमिश्नर को तय करना है कि क्या किया जाना चाहिए। इस जलाशय से मलबार हिल, ग्रांट रोड, नेपेंसी रोड, गिरगांव, कोलाबा, चर्चगेट, मंत्रालय, कफ परेड और नरिमन पॉइंट इलाके में पानी की आपूर्ति की जाती है।
मलबार हिल रिजर्व वायर के लिए गठित दोनों कमिटी के मत में अंतर है। तीन सदस्यीय गठित कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिना तोड़े रिजर्व वायर की मरम्मत की जा सकती है। यह रिपोर्ट विजुअल इंस्पेक्शन पर आधारित है। वहीं, चार सदस्यीय आईआईटी की रिपोर्ट परीक्षण और वैज्ञानिक निगरानी पर आधारित है। इसमें सभी पहलुओं पर विचार कर रिपोर्ट बीएमसी को सौंपी गई है। आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिजर्व वायर को तोड़ कर रिकंस्ट्रक्शन करना या उसकी मरम्मत करना, दोनों विकल्प मौजूद हैं। यह निर्णय अब बीएमसी को लेना है कि वह क्या करती है? दोनों निर्णय लेने से पहले सुचारु पानी आपूर्ति से पहले वहां 54 एमएलडी क्षमता की टंकी बनानी पड़ेगी, जिससे बिना किसी बाधा के लोगों को पानी मिलता रहे।
बीएमसी अधिकारी ने बताया कि स्पेशलिस्ट और आईआईटी कमिटी की रिपोर्ट में अंतर है। इसलिए किसी निर्णय से पहले हम थर्ड ओपिनियन भी ले सकते हैं। इसके लिए वॉटर सिस्टम स्पेशलिस्ट कमेटी से भी सुझाव लिया जा सकता है। इस कमिटी से हम ऐक्शन प्लान की रिपोर्ट भी देने को कहेंगे। अधिकारी ने कहा कि अगले दो साल तक रिजर्व वायर से पानी सप्लाई होती रहेगी, लेकिन हमें कोई ठोस निर्णय लेना होगा।
अधिकारी के अनुसार 1887 में फिरोजशाह मेहता गार्डन के नीचे बने इस जलाशय को बने 136 साल हो गए हैं, जिसे हैंगिंग गार्डन जलाशय भी कहते हैं। जलाशय पुराना होने के कारण बड़े पैमाने पर लीकेज की वजह से पानी बर्बाद हो रहा है। बीएमसी ने इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए इसके पुनर्निर्माण का निर्णय लिया है। इसकी क्षमता फिलहाल 150 एमएलडी है, जिसे बढ़ाकर 191 एमएलडी करने की योजना है। इसके लिए 389 पेड़ों को हटाने की योजना है, जिनमें 189 पेड़ काटे जाएंगे और 200 से अधिक पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञ पेड़ों को काटे जाने की बात का विरोध कर रहे हैं। बीएमसी इसके लिए नागरिकों का भी सजेशन-ऑब्जेक्शन मंगवा चुकी है।
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